क्या फिर लगेगा लॉकडाउन, भारत में चौथी लहर ने दी दस्तक WHO ने जारी किया अलर्ट… चीन, अमेरिका और जापान समेत कई देशों में कोरोना की नई लहर आ गई है। वहां संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। भारत में फिलहाल संक्रमण काबू में है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि एक हफ्ते में नए मामलों में 14 फीसदी का उछाल आया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में चौथी लहर शुरू हो गई है?
क्या भारत में कोरोना के नए वेरियंट ने दस्तक दे दी है?
क्या भारत में कोरोना की चौथी लहर शुरू हो गई है? सवाल इसलिए क्योंकि कोरोना के साप्ताहिक मामले फिर से बढ़ने लगे हैं। करीब 2 महीने बाद साप्ताहिक मामलों में उछाल देखने को मिला है। स्वास्थ्य मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक भारत में एक हफ्ते में कोरोना के मामलों में 14 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है. आंकड़े बताते हैं कि 13 से 19 दिसंबर के बीच देशभर में कोरोना के 1,104 मामले सामने आए। जबकि 20 से 26 दिसंबर के बीच 1,260 मामले सामने आए हैं।
कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा
हालांकि 13 से 19 दिसंबर के बीच 15 लोगों की कोरोना से मौत हो गई। वहीं, 20 से 26 दिसंबर के बीच 19 मौतें हो चुकी हैं। हालांकि मौतों के इन आंकड़ों में कुछ पुरानी मौतें भी शामिल हैं. वो इसलिए क्योंकि केरल उम्रदराज़ मौतों को आंकड़ों में शामिल कर रहा है. मसलन, 22 दिसंबर को 9 मौतें हुईं, लेकिन इनमें से 6 मौतें पुरानी थीं। यानी ये पहले भी हुए थे लेकिन बाद में ये कोविड मौतों में गिने गए. इतना ही नहीं देश में कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में भी मामूली बढ़ोतरी हुई है. 22 दिसंबर तक एक्टिव केस की संख्या 3,380 थी, जो 26 दिसंबर तक बढ़कर 3,421 हो गई.
तो क्या आ रही है चौथी लहर
फिलहाल चौथी लहर का कोई खतरा नहीं है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि चौथी लहर की गुंजाइश कम है। इसका कारण यह है कि भारत में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी में कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता है।
अभी भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि मामले बढ़ेंगे भी तो हल्के होंगे और लोगों को शायद ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ेगी
डॉ. गुलेरिया ने बताया था कि ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BF.7 की वजह से न तो अस्पताल में भर्ती होंगे और न ही मौतों की संख्या बढ़ेगी, क्योंकि अब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक हो गई है.
उन्होंने यह भी कहा कि BF.7 भारत में जुलाई में आया था, लेकिन हमने देखा कि इसकी वजह से न तो अस्पताल में भर्ती हुए और न ही मौतें बढ़ीं. डॉ. गुलेरिया का मानना है कि यह वेरिएंट लंबे समय तक बना रह सकता है लेकिन इससे नई लहर आने की उम्मीद नहीं है.