पटना: सीएम नीतीश कुमार 23 दिसंबर से प्रगति यात्रा पर निकलने वाले हैं। तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री की यात्रा को लेकर सवाल उठाए हैं। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर नीतीश कुमार की यात्रा पर निशाना साधा है।
उन्होंने नीतीश से 10 सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी आदत, चरित्र, आचरण और चंचलता के कारण एक ही यात्रा का नाम एक पखवाड़े में कई बार बदल चुके हैं। पहले महिला संवाद, फिर समाज सुधार और अब प्रगति यात्रा। इससे पता चलता है कि वे मानसिक रूप से कितने विक्षिप्त और अस्थिर हो चुके हैं। साथ ही तेजस्वी यादव ने सीएम से दस सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि मुख्यमंत्री को किसी भी यात्रा पर निकलने से पहले दस सवालों का जवाब देना चाहिए। तेजस्वी ने सीएम नीतीश कुमार से ये सवाल पूछे हैं।
2023 में समाधान यात्रा के दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाई गई कितनी समस्याओं का समाधान उन्होंने अब तक किया है?
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समाधान यात्रा में दर्ज कितनी समस्याएं उनके आश्वासनों और निर्देशों के बावजूद अभी तक अनसुलझी हैं? क्या वे अनसुलझी समस्याओं के लिए जिम्मेदार नहीं हैं?
मुख्यमंत्री के जनता दरबार में नागरिकों द्वारा दर्ज कराई गई जन शिकायतों का समाधान अब तक क्यों नहीं हुआ?
यदि उन्हें जनप्रतिनिधियों की जनशिकायतों/शिकायतों/समस्याओं को नजरअंदाज करना है, चंद अधिकारियों की बात सुननी है और अपनी रटी-रटाई, घिसी-पिटी बातें कहनी हैं, तो इस एकालाप भरी यात्रा का क्या फायदा?
यदि उन्हें जनता से संवाद नहीं करना है, तो वे उड़नखटोले में यात्रा करके अधिकारियों के साथ चाय-पानी पर अरबों रुपए क्यों खर्च कर रहे हैं?
क्या किसी संवाद में गरीब राज्य के 225.78 लाख रुपए नाश्ते और सोशल मीडिया प्रचार पर खर्च करना उचित है?
क्या यह यात्रा अधिकारियों को लूट की खुली छूट नहीं है?
क्या वे इस यात्रा में घर-घर शराब पहुंचने, शराबबंदी में पुलिस की मिलीभगत और शराबबंदी की विफलता की प्रगति की समीक्षा करेंगे?
क्या यह थके हुए मुख्यमंत्री और सेवानिवृत्त अधिकारी द्वारा जिला स्तर के अधिकारियों को डरा धमका कर और तबादले का भय दिखाकर धन उगाही करने का दौरा नहीं है? क्या यह मुख्यमंत्री द्वारा पुलिस थानों और ब्लॉकों में व्याप्त भ्रष्टाचार को गति देने का दौरा नहीं है?