महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें रुद्राभिषेक, बरसेगी शिव की कृपा, मिलेगा लाभ ही लाभ: महाशिवरात्रि शिव की रात्रि है। इस साल महा शिवरात्रि का व्रत 8 मार्च को रखा जाएगा. मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। वहीं इस खास दिन पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना भी पुण्यकारी माना जाता है. रूद्र अभिषेक का अर्थ है शिव के रूद्र स्वरूप का अभिषेक। रुद्राभिषेक के दौरान महादेव के रूद्र अवतार की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पूजा का शुभ समय, रुद्राभिषेक की विधि और मंत्र-
महा शिवरात्रि पूजा शुभ मुहूर्त
8 मार्च की रात 9.58 बजे से भगवान शिव का जलाभिषेक शुरू होगा.
शिव रुद्राभिषेक-विधि
शाम के समय स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव, पार्वती और सभी देवताओं और नौ ग्रहों का ध्यान करें और रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें। मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उत्तर दिशा में स्थापित करें। रुद्राभिषेक करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इस विधि की शुरुआत गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करके करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद गन्ने के रस, गाय के कच्चे दूध, दही,घी शहद और शक्कर से शिवलिंग का अभिषेक करें। प्रत्येक सामग्री से अभिषेक से पहले और बाद में पवित्र जल या गंगा जल अर्पित करें। भगवान को बिल्व पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, काले तिल, भांग, धतूरा, अंक, शमी के फूल और पत्ते, कनेर, कलावा, फल, मिठाई और सफेद फूल चढ़ाएं। इसके बाद शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा करें। भगवान को भोग लगाएं. अंत में पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में क्षमा के लिए प्रार्थना करें। इस प्रक्रिया के दौरान चढ़ाए गए जल या अन्य तरल पदार्थ को इकट्ठा करके घर के सभी कोनों और सभी लोगों पर छिड़कें और इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण कर सकते हैं। विशेष रूप से किसी विद्वान पंडित से रुद्राभिषेक करवाना बहुत शुभ माना जाता है। हालाँकि आप स्वयं रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करके भी इस विधि को पूरा कर सकते हैं।
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नोट- भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय शिव मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें।
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।|