बिहार के जमुई जिले में एक महिला बेटे की चाहत में एक नहीं बल्कि पांच बेटियों की मां बन गई. महिला की पहले से ही दो बेटियां हैं, इस बार उसने सोचा कि उसे एक बेटा होगा लेकिन भगवान की मर्जी कोई नहीं मान सकता। इस बार महिला ने एक साथ तीन बेटियों को जन्म दिया। लेकिन इससे परिजनों में खुशी की जगह निराशा है.
मामला जमुई के खैरा प्रखंड के मांगोबंदर गांव का है, जहां की रहने वाली 27 वर्षीय बिंदु देवी ने एक साथ 3 बेटियों को जन्म दिया है. बेटे की चाहत में बिंदु देवी अब पांच बेटियों की मां बन गयी है. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. वह मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करती है। अब बिंदू को इस बात की ज्यादा चिंता है कि वह इन लड़कियों का भरण-पोषण कैसे करेगी.
बिंदू का कहना है कि उन्हें न तो सरकार से राशन मिलता है और न ही कोई अन्य सुविधा. आपको बता दें कि बिंदु की शादी 10 साल पहले दिलचंद मांझी से हुई थी. उसका पति मजदूरी करता है और वह किसी तरह दो बेटियों का पालन-पोषण कर रहा था, लेकिन इस बार बेटे की चाहत में तीन और बेटियां पैदा हो गईं और अब उसे चिंता है कि वह पांचों बेटियों का पालन-पोषण कैसे करेगी. हम उन्हें अच्छी शिक्षा कैसे देंगे?
संबंधित खबरें
- सोनपुर मेले में आया है 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाला घोड़ा, घी से की जाती है मालिश, कीमत जानकर हर कोई हैरान
- गिरिराज सिंह का हेमंत सोरेन और कांग्रेस पर बड़ा आरोप, कहा- वे रांची को कराची बनाना चाहते हैं
- नीतीश कैबिनेट की बैठक, कई एजेंडों पर लगेगी मुहर, नौकरी और रोजगार पर रहेगी नजर
- बिहार में सुलझेगा मकान का सवाल, पांच साल में मिलेगा 5 लाख रुपये का मकान
- बिहार में जहर खाकर पूरे परिवार ने गंवाई जान, तीन और आगे की कार्रवाई, फोटो रिकॉर्डिंग
तीनों नवजात बच्चियां और उनकी मां बिंदु देवी स्वस्थ हैं. उन्हें खैरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रखा गया है जहां सभी की देखभाल की जा रही है. सवाल उठता है कि एक तरफ सरकार ‘हम दो हमारे दो’ की बात करती है और समय-समय पर लोगों को जागरूक भी करती है, लेकिन लोग इस पर अमल क्यों नहीं करते. आज भी लोगों में जागरूकता की कमी देखी जाती है। इसका जीता जागता उदाहरण बिंदु देवी हैं, जो बेटे की चाह में आज पांच बेटियों की मां बन गयी हैं.
समाज कब समझेगा कि बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है? सरकार बेटा-बेटी के बीच अंतर मिटाने की कोशिश करती है, लेकिन इसके बावजूद लोगों के मन में यह बात बनी हुई है कि बेटा घर का चिराग होता है और हर किसी को बेटा ही होना चाहिए. बिंदु देवी जैसी अन्य महिलाओं को भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि बेटा-बेटी का अंतर खत्म हो सके. सरकार को बिंदु देवी जैसी असहाय महिलाओं को भी मदद देनी चाहिए. उन्हें राशन कार्ड मुहैया कराया जाए और अन्य सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिले.