मिथिला की नदियों के जल से अयोध्या में होगा भगवान श्रीराम का जलाभिषेक:
22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर के अभिषेक में मिथिला की नदियों के जल से भगवान श्री राम का जलाभिषेक किया जाएगा. इसके लिए नेपाल की नदियों से पानी इकट्ठा करने का काम शुरू हो गया है. नेपाल के विश्व हिंदू परिषद और बीरगंज के श्री गहवा माई रथ यात्रा समिति के सदस्य नदियों से पानी इकट्ठा करने में लगे हुए हैं। अलग-अलग समूहों में ये सदस्य पहाड़ों से लेकर नेपाल की तराई तक की नदियों से पानी इकट्ठा कर रहे हैं. जल लेने के बाद वे 28 दिसंबर को अयोध्या के लिए रवाना होंगे और 29 की शाम तक पहुंचेंगे. परसा जिले के विहिप नेता रंजीत कुमार साह और राजन कुमार ने बताया कि अयोध्या जाने वाली टीम में 51 सदस्य होंगे. वीरगंज से यह जत्था 28 दिसंबर को भारतीय सीमा के रक्सौल पहुंचेगा. इसके बाद श्रद्धालु पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज होते हुए गोरखपुर पहुंचेंगे। वहां से जत्था फिर अयोध्या के लिए रवाना होगा। सीमा जागरण मंच के बिहार राज्य संयोजक महेश अग्रवाल ने कहा कि यह भारत-नेपाल संबंधों को मजबूत करने की पहल है.
विहिप एवं रथ यात्रा समिति के सक्रिय विहिप (परसा, नेपाल) नेता रंजीत शाह, राजन कुमार, वीरगंज महानगर अध्यक्ष सागर सर्राफ सहित गहवा माई समिति के अध्यक्ष श्याम पोखरेल एवं महासचिव देवा नंद गुप्ता के नेतृत्व में शंभु गुप्ता, रंजीत साह, राजन कुमार , विनय गुप्ता, प्रभु साह, पप्पू गुप्ता, पप्पू वर्णवाल आदि।
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देवघाट से नदी जल संचयन की शुरुआत हुई
नदी जल संग्रहण की प्रथा विवाह पंचमी के दिन नेपाल के चितवन स्थित प्रसिद्ध धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थल देव घाट धाम से शुरू की गई थी। देवघाट धाम काली (कृष्णा) गंडकी और सेती गंडकी नदियों का संगम है। विश्व दुर्लभ शालिग्राम इसी काली गंडकी में पाए जाते हैं। प्रसिद्ध सीता गुफा भी यहीं है।
इन नदियों का जल एकत्र किया जाएगा
नेपाल में मेन्ची से लेकर महाकाली तक यानि पूर्व से पश्चिम तक सभी महत्वपूर्ण नदियाँ नारायणी, काली गंडकी, सेती गंडकी, बागमती, कोसी, राप्ती, करनाली, बाबई, कमला, अरुण, तिनौ, घाघरा, सेती, भोटे कोसी, मुगु करनाली हैं। , भेरी, विष्णुमती। वरुण, लखनदेई, रोहिणी, त्रिशूली, इंद्रावती, सन कोसी, शारदा, मेची, महाकाली आदि नदियों का जल एकत्र किया जाएगा।
क्या कहते हैं समिति के पदाधिकारी?
वीरगंज के विहिप नेता राजन कुमार ने बताया कि 28 दिसंबर को भारत में प्रवेश करने के बाद गोरखपुर में पड़ाव होगा. जत्था 29 दिसंबर की शाम को अयोध्या पहुंचेगा. 30 दिसंबर को जल कलश अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि ट्रस्ट प्राण प्रतिष्ठा आयोजन समिति को समर्पित किया जाएगा. गहवा माई रथ यात्रा समिति के अध्यक्ष श्याम पोखरेल, महासचिव देवानंद गुप्ता, सदस्य राजन कुमार आदि ने कहा कि त्रेता युग से दोनों देशों के बीच स्थापित धार्मिक व सांस्कृतिक संबंधों को जीवंत रखने व परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है. विहिप (नेपाल) के महासचिव जितेंद्र सिंह ने कहा कि नेपाल में भी लोग राम मंदिर निर्माण से खुश हैं. नेपाल में भी त्योहार की तैयारियां हैं.