ताजा खबर

नए साल से पहले गिरफ्तार होंगे तेजस्वी, क्या पलटी मारकर एक बार फिर बीजेपी के साथ जाएंगे सीएम नीतीश?

नए साल से पहले गिरफ्तार होंगे तेजस्वी, क्या पलटी मारकर एक बार फिर बीजेपी के साथ जाएंगे सीएम नीतीश?

सड़क पर ‘भारत’, पीठ पीछे साजिश: बिहार में तैयार हो रहा है विपक्षी एकता का ताबूत साल 2023 खत्म होने वाला है और अगले साल बिहार समेत पूरे देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. एक तरफ जहां देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए इंडिया अलायंस में शामिल सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने मिलकर चुनाव लड़ने का दावा किया है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी के तमाम नेता दावा कर रहे हैं कि साफ है कि एक बार फिर मोदी सरकार तीसरी बार केंद्र की सत्ता पर काबिज होने जा रही है. इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव बिहार और लोकसभा को लेकर तमाम पहलुओं का विश्लेषण कर रहे हैं.

आज जब विपक्षी गठबंधन ‘भारत’ दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर देशभर की सड़कों पर आंदोलन कर रहा है, तो बिहार की राजनीति में इस गठबंधन को कमजोर करने की साजिशें खुलेआम पनप रही हैं. पिछले दो दिनों से बिहार के बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी के ‘चाणक्य’ से मिलने के लिए दिल्ली में कतार में खड़े हैं, तो राजनीतिक माहौल में कुछ अहम सवाल तैर रहे हैं.

क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक हफ्ते के अंदर एक बार फिर वापसी करेंगे? क्या बिहार में गिर जायेगी सरकार? क्या लोकसभा चुनाव के साथ बिहार में समय से पहले होंगे विधानसभा चुनाव? और क्या आज ईडी के सामने पेश होने के लिए बुलाए गए तेजस्वी यादव को नए साल से पहले गिरफ्तार किया जाएगा?

19 दिसंबर के बाद

नीतीश कुमार को कभी राजनीति का ‘चाणक्य’ कहा जाता था और इसके उलट एक बड़े नेता ने उन्हें ‘परिस्थितियों का नेता’ कहा था. अभी तीन दिन पहले ही नीतीश के लिए राजनीतिक हालात अचानक बदल गए जब 19 दिसंबर को ‘भारत’ गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित कर नीतीश के अरमानों पर पानी फेर दिया. .

इसके बाद नीतीश बैठक से उठ गए और उनके पीछे जनता दल (यूनाइटेड) के नेता बैठक में समोसा न होने और खड़गे के नाम से अनजान होने जैसी छोटी-मोटी शिकायतें करते पाए गए. इन शिकायतों के राजनीतिक निहितार्थ तो निकाले जा रहे हैं, लेकिन अटकलों के अलावा ज़मीन पर भी बहुत कुछ हो रहा है.

अगले ही दिन राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने ट्विटर पर लिखा, ”भारती गठबंधन में श्री नीतीश कुमार जी की हालत पर एक दोहा याद आता है कि ‘न खुदा मिला, न विसाल-ए-सनम, न यहां’ ‘हम यहां से हैं या वहां से?’ जब कुशवाहा यह दोहा लिख रहे थे तो उस दिन वह भी दिल्ली में थे और अभी भी वहीं डेरा डाले हुए हैं.

कहा जा रहा है कि कुशवाहा को दिल्ली भागना पड़ा क्योंकि ‘इंडिया’ बैठक के बाद नाराज नीतीश कुमार ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से कुछ बातचीत की थी. इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि नीतीश कुमार की बीजेपी के साथ डील फाइनल हुई थी या नहीं, लेकिन उनकी वजह से बीजेपी का कुशवाहा को तीन सीटों का वादा खटाई में पड़ता दिख रहा है.

राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा: तीन सीटों के लिए संघर्ष

इसके बाद ही 29 दिसंबर को दिल्ली में जेडीयू की कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई गई और पटना में लालू प्रसाद के परिवार को ईडी का समन भेजा गया. एक ही दिन जदयू कार्यकारिणी और परिषद की बैठक बुलाना गंभीर माना जा रहा है. क्या सचमुच उस दिन नीतीश अपनी पार्टी बदलने की घोषणा करेंगे?

कुर्सी का आकर्षण

जेडीयू के एक पुराने नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि नीतीश कुमार के पास अब अपनी कुर्सी बचाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वह लालू प्रसाद की पार्टी राजद से नाता तोड़कर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं और बदले में मध्यावधि चुनाव कराकर पांच साल तक अपनी सीट सुरक्षित रखने का वादा कर सकते हैं.

वे कहते हैं, ”दरअसल, राजद के बिना नीतीश की सरकार गिर जायेगी. अगर वह इससे नाता तोड़ते हैं और बीजेपी के साथ सरकार बनाते हैं तो खतरा यह होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी उनकी कुर्सी के लिए खतरा पैदा कर देगी. इसीलिए नीतीश बिहार में लोकसभा के साथ चुनाव कराना चाहेंगे ताकि कुर्सी बरकरार रहे.

संभव है कि 29 तारीख को जेडीयू की बैठक में यह फैसला औपचारिक तौर पर लिया जाएगा. तो फिर उपेन्द्र कुशवाहा के लिए मुसीबत खड़ी हो जायेगी. यही बात है जो कुशवाहा को मार रही है. अगर नीतीश के साथ बीजेपी की डील नहीं हो पाई तो कुशवाहा को सिर्फ एक सीट से ही काम चलाना पड़ सकता है या फिर मिलेगी भी नहीं. तो फिर कुशवाहा की सांसद बनने की चाहत खतरे में पड़ जाएगी.

20 दिसंबर के कुशवाहा के ट्वीट से आगे के घटनाक्रम का संकेत मिलता है, जिसमें वह लिखते हैं, “अब भारतीय गठबंधन ने नीतीश जी को पीएम उम्मीदवार बनाने से साफ इनकार कर दिया है। इधर बिहार में श्री लालू प्रसाद जी भी नीतीश जी पर दबाव बनाएंगे कि वे चले जाएं।” सीएम की कुर्सी और अगर भाई साहब मान गए तो ठीक, नहीं तो राजद वाले नीतीश जी को सीएम की कुर्सी से धक्का देकर हटा देंगे. फिर बड़े भाई, चाहे पीएम हों या सीएम… सब रेस से बाहर हो जाएंगे.

यह खतरा इतना आसन्न है कि इससे बचने के लिए नीतीश को राजद पर नियंत्रण रखना होगा. इसको लेकर पटना के राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *