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अगर Ratan Tata ना होते तो Tata Group नहीं होता । Biography of Ratan Tata । Case Study

मिस्टर रतन टाटा एक नाम जो भारत की आन बान शान और बिजनेस का भगवान है बाकी बिजनेसमैन ने बिजनेस किया ये देख के कि कौन सा सेक्टर अच्छा कौन सा प्रोडक्ट अच्छा किसमें माल बनेगा किसमें पैसा बनेगा रतन टाटरी जी ने बिजनेस किया ये सोच के ऐसा क्या काम करूं जिसकी देश को जरूरत है कौन सा प्रोडक्ट कौन सी इंडस्ट्री में जाऊं जिससे देश का भला हो बाकी बिजनेसमैन अपना बैंक बैलेंस और नेटवर्थ बढ़ाने की रेस में रहे और रतन टाटा जी रहे भारत का मान सम्मान बढ़ाने की रेस में आज की article श्री रतन टाटा जी को समर्पित है !

जो कि उन्होंने भारत के बिजनेस जगत में और समाज में किया रतन टाटा जी ग्रुप के चेयरमैन बने 1991 में तब टाटा ग्रुप के पास टोटल 95 कंपनियां थी और हर कंपनी अलग-अलग सेक्टर में काम कर रही थी इनमें कोई एकता नहीं थी सब अपनी-अपनी धुन में चल रहे थे कोई सेंट्रल अथॉरिटी नहीं थी और पूरा फोकस इंडियन मार्केट पे था बाहर कोई ध्यान नहीं दे रहा था ग्रुप का रेवेन्यू मात्र 000 करोड़ और मार्केट कैपिला मात्र 0000 करोड़ फिर रतन टाटा जी जब सीन में एंटर हुए और 2012 में रिटायर हुए तब तक वो क्या कर चुके थे!

ये सुनिए जो टाटा ग्रुप की छोटी-छोटी कमियां थी अपनी मनमानी कर रही थी सबको एक करके सेंट्रलाइज कर दिया जहां फोकस सिर्फ इंडियन मार्केट पे था फॉरेन मार्केट पे फोकस किया और आज टा ग्रुप का 60 पर रेवेन्यू विदेशों से आता है टाटा ग्रुप ब्रिटेन का सबसे बड़ा एंप्लॉयर है !

यानी वो देश जिसने कभी भारत पे राज किया था वहां पे हम राज कर रहे हैं सबसे ज्यादा नौकरियां हम देते हैं रजन टाटा जी के पीछे ब्रिटेन के बड़े-बड़े ब्रांड चाहे वो टेटली हो चाहे जगवार हो चाहे लैंडरोवर हो चाहे कोरस हो सब खरीद डाला देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस उन्हीं की निगरानी में लिस्ट हुई थी जब उन्होंने जॉइन किया सेल थी मात्र 14000 करोड़ जब वो रिटायर हुए तो सेल कर गए थे 5वा लाख करोड़ जब उन्होंने जॉइन किया मार्केट कैप 30000 करोड़ था आज की रेट में टाटा ग्रुप देश का सबसे बड़ा ग्रुप है 25 लाख करोड़ मार्केट कैप के साथ पर उन्होंने ये किया कैसे उनकी क्या लीगेसी रही इंडिया और वर्ल्ड में और ये तो रही बिजनेस की बात बिजनेस के अलावा पर्सनल जिंदगी में कैसे थी उससे रिलेटेड कुछ किस्से कुछ कहानियां जो चैरिटी करते थे जो हंबल थे उसके किस्से सुनेंगे इस वीडियो में अगर आप श्री रतन टाटा जी से प्यार करते हैं उनका सम्मान करते हैं तो इस वीडियो को लाइक जरूर करना क्योंकि मैं चाहता हूं कि रतन टाटा जी आज हमारे बीच जब नहीं रहे और उन परे मैं एक वीडियो कर रहा
हूं !

अगर Ratan Tata ना होते तो Tata Group नहीं होता । Biography of Ratan Tata । Case Study

भारत के सबसे महान व्यक्तित्व के जीवनी की शुरुआत कि कौन-कौन से इंपॉर्टेंट पल में क्या-क्या चीजें हुई रतन टाटा जी का जन्म हुआ था 1937 में उनके माता-पिता के बीच में भाई साहब डिवोर्स हो गया तो उनको अपना बचपन दादी के साथ बिताना पड़ा 1955 में मात्र 17 साल की उम्र में वो यूएस चले गए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी पढ़ने के लिए 1962 में उनकी ग्रेजुएशन डिग्री पूरी हुई आर्किटेक्ट की रतन टाटा जी डिग्री से एक आर्किटेक्ट थे उस समय उनका मन था कि यार यूएस की लाइफ स्टाइल ठीक है वहीं सेटल हो जाते हैं लेकिन दादी ने उनको बचपन से पाला था दादी की तबीयत खराब हुई दादी ने पुकारा एक बार में चले आए अब ऑडियंस को मैं बता दूं ऐसा नहीं था कि रतन टाटा जी में जो जेआरडी टाटा है उनके ब्लड रिलेशन में थे या उनको पता था कि यार टाटा ग्रुप का जो उत्तराधिकारी मैं ही हूं मैं ही राजकुमार हूं नहीं और उन्होंने ऐसा करने का क्लेम भी नहीं किया उन्होंने अपने हिसाब से अपना काम कर रहे थे !

आईबीएम से उनको ऑफर मिला और वो आईबीएम में नौकरी करने की सोच रहे थे जेआरडी टाटा की मानता थी उन्होंने कहा नहीं यार तुम तो उस टाटा ग्रुप से कहीं ना कहीं जुड़े हुए हो प्लीज जॉइन और टा जब तक इंडिया में रहोगे टाटा ग्रुप में ही काम करोगे 1963 में जब वो 26 साल की उम्र थे विधिवत रूप से टा ग्रुप में एंट्री की तो सबसे पहले टा ग्रुप में जब एंटर हुए छ महीना उन्होंने टाटा मोटर में ट्रेनिंग की उसके बाद चले गए टेस्को जो आज की डेट में टाटा स्टील नाम से जानी जाती है छ महीना वहां ट्रेनिंग की ट्रेनिंग के बाद वहीं टाटा स्टील में एक टेक्निकल ऑफिसर की हैसियत से उन्होंने जॉइन किया काम चालू किया 1969 में 4 साल बाद वो ऑस्ट्रेलिया चले गए ग्रुप का रिप्रेजेंट करने कि टाटा ग्रुप का एक मेंबर चाहिए था तो ऑस्ट्रेलिया गए और टाटा ग्रुप का प्रतिनिधित्व किया 1970 में कुछ समय के लिए उन्होंने टीसीएस में भी काम किया था 1971 में उनको नेल्को का डायरेक्टर बनाया गया नेल को एक तरह की लॉस मेकिंग फर्म थी!

और टाटा ग्रुप ने उम्मीद छोड़ दी थी कि इसमें कुछ हो सकता है पर रतन टाटा जी ने उसको भी ट्रांसफॉर्म किया और कंपनी को बदल दिया और वहां जेआरटी टाटा को दिखा अरे यार इस लड़के में कुछ बात है लको की सफलता के बाद 1971 में टा s जो उनकी प्राइमरी कंपनी है उसमें इनको डायरेक्टर बनाया गया 1975 में ने हावर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट का प्रोग्राम किया 1981 में बने टाटा इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर और वहां पे इन्होंने क्या किया t टा ग्रुप का जो थिंक टैंक है जो प्लान करता है कि अब किस नए सेक्टर में आना अब क्या करना चाहिए और हाईटेक बिजनेस में घुसना इन्होंने नीव रखी थी

उसकी 1981 में 1983 में इन्होंने लॉन्च किया टाटा सल्ट जो देश का नमक है वो देश के हमारे लाल ने ही नॉज किया था 1986 में एयर इंडिया के चेयरमैन बने कुछ समय के लिए और फाइनली 25 मार्च 1991 को इनको टाटा ग्रुप के अधिकृत रूप से चेयरमैन बन गए और ये डेट मुझे बहुत अच्छी लगी क्योंकि 24 मार्च को मेरा भी बर्थडे है यानी जब मैं 2 साल एक दिन का था तब रतन टाटा जी टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे एक कोइंसिडेंस बताता हूं इसी के 10 दिन बाद 4 अप्रैल 1991 को आनंद महिंद्रा जी महिंद्रा ग्रुप में एंटर हुए थे अब आप बोलेंगे राहुल जी देखो राज गद्दी पे बैठ गए राजकुमार सर जी 1991 इस पीरियड को समझना इंटरनल एक्सटर्नल दोनों तरफ हाहाकार मचा हुआ था

सबसे पहले बात करते हैं एक्सटर्नल हाहाकार की एक्सटर्नल मतलब उस समय देश की इकोनॉमी खुली थी देखो 91 के पहले देश की इकॉनमी बंद थी तो क्या था लाइसेंस राज था कि अच्छा हर टक बनाने का हर कंपनी को लाइसेंस मिला हुआ था कि अच्छा यह आदमी यह बनाएगा ये आदमी ये बनाएगा कुछ भी बना ले कैसा भी बना ले किसी भी रेट प बेचे माल तो बिक ही रहा था तो उस समय टेंशन नहीं थी कंपटीशन नहीं था और सब अपना काम राजी कुशी कर रहे थे 1991 में जब अर्थव्यवस्था खुल गई तो विदेशी कॉम्पिटेटिव के पहले जितने भी पुराने group

इसलिए सुन रहे हो ग्रुप का इसलिए सुन रहे हो बजज ग्रुप का इसलिए सुन रहे हो क्योंकि इन चार के जो लीडर थे विजनरी थे इन्होंने ग्रुप को संभाल लिया उस समय 91 के पहले इनके आसपास की जो थे सब चले गए काल के काल में तो इन चार लीडर ने देश को संभाल लिया ये तो था एक्सटर्नल क्योंकि उस समय विदेशी कंपनियों से भी लड़ना था और बाकी सब से भी लड़ना था और मैदान खुल गया था इंटरनल चैलेंज तो और खतरनाक था इंटरनल चैलेंज ये था कि साहब उस समय टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियां थी 95 कंपनियां मैंने आपको बताया हर कंपनी में एक ना एक ऐसा बंदा बैठा था !

जो उस कंपनी को अपने हिसाब से चला रहा था टाटा ग्रुप से कोई लेना देना नहीं था क्योंकि इनके पहले जो बॉस थे वो थे जेआरडी टाटा जेआरडी टाटा का व्यक्तित्व इतना भारी था कि उनकी आवाज में दम था एक बार फोन लगा दिया एक बार बात कह दी तो आदमी इधर-उधर हिल नहीं सकता था लेकिन जब वो चेयरमैन रह रहे तो हर आदमी अपनी-अपनी मनमानी करने लग गया जब रतन टाटा जी भी बने तो एक रूसी मोदी करके थे उनका मानना था कि शायद वो चेयरमैन बनते तो उन्होंने बहुत ज्यादा विद्रोह कर दिया तो इंटरनली इनको विद्रोह का सामना करना पड़ा!

अगर Ratan Tata ना होते तो Tata Group नहीं होता । Biography of Ratan Tata । Case Study

 

इन्होंने इस विद्रोह को पूरा कंट्रोल करते हुए पुराने जो व्यक्ति इस तरह की मन तानाशाही कर रहे थे उनको सबको हटाया रिटायरमेंट की एज नहीं थी कोई भी आदमी जब तक जिंदा है तब तक काम कर रहा था रिटायरमेंट की एज डाली नए टैलेंट के लिए जगह बनाई बाकी सब ग्रुप की कंपनीज में अपने हल्के हल्के स्टेक्स बढ़ाए और टाटा सस जो उसकी चेयरमैन कंपनी थी उसका दबदबा बढ़ाया ताकि कोई कंपनी इधर-उधर ना निकले अगर रतन टाटा जी 1991 में जवाइन नहीं करते 2000 तक आते-आते टाटा ग्रुप की 20-30 कंपनियां अलग-अलग डायरेक्शन में चली जाती !

बिना टाटा ग्रुप के कंट्रोल के उस समय जितनी भी कंपनिया थी सबका फोकस ये था इंडिया में काम करो इंडिया में काम करो इन्होंने कहा रे वई इंडिया इंडिया में तो काम करना है पर पर इंडियन कंपनी बाहर जाके अपना डंका कैसे बजाए गी उस परे इन्होंने प्रयास चालू किया और शुरुआत की सन 2000 से सन 2000 में इन्होंने टेटली जो कि एक ब्रिटिश ब्रांड था उसको खरीद लिया तहलका मच गया पूरे भारत में और विश्व में कि एक इंडियन कंपनी बाहर जाके विदेशी कंपनी को खरीद ली वो भी खुद से बड़ी टाटी ने खरीदा टाटी छोटी कंपनी थी

टेटली बड़ी कंपनी थी तो छोटी कंपनी ने बड़ी कंपनी खरीद लिया और इंडिया ने ब्रिटिश कंपनी को खरीद लिया तो भाई साहब एक तो बाजार में हल्ला मच गया कि ये क्या हो गया और इनको देख के बाकी भी बिजनेस में कॉन्फिडेंस आया कि यस हम भी बाहर जा सकते हैं हम भी बाहर अपना बिजनेस फैला सकते हैं हम भी एक्सपोर्ट कर सकते हैं हम भी ब्रांड खरीद सकते हैं तो ये जो शुरुआत है ना इंडियन कंपनी के डोमिनेंस की फीयरलेस होने की नीडर होने की यह रतन टाटा जी की देन है उसी साल सन 2000 में इनको मिला पद्मभूषण जो कि भारत का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है 2004 में ये लेके आए टीसीएस का आईपीयू टीसीएस में याद है 1970 में इन्होंने काम किया था इनको पता तो था !

अगर Ratan Tata ना होते तो Tata Group नहीं होता । Biography of Ratan Tata । Case Study

कंपनी क्या है उसका उस समय इन्होंने आईपीओ किया और आज की डेट में टीसीएस देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है टा ग्रुप की जितनी भी कंपनियां है उनमें 90 पर प्रॉफिट अकेली टीसीएस देती है 2006 में लॉन्च किया डीटीएच सर्विस टा स्काय 2008 में भाई साहब इन्होंने फिर एक बार दाव खेला जगवार को खरीदा लैंडरोवर को खरीदा और उसी साल उनको भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्म विभूषण मिला 2012 में एज अ चेयरमैन इन्होंने रिटायरमेंट ले लिया और सायरस मिस्त्री को अपना उत्तराधिकारी अपॉइंट्स करना चाह रहा हूं 2000 में इनको मिला पद्मभूषण जो कि तीसरा सबसे बड़ा सम्मान था

2008 में मिला इनको पद्म विभूषण जो कि दूसरा दूसरा सबसे बड़े सम्मान था लेकिन ये हकदार हैं देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न के तो वैसे अभी खबरें आ रही है कि महाराष्ट्र सरकार ने थोड़ी प्रयास कर दिया है प्रपोजल कर दिया है सरकार पे कंटीन्यूअस दबाव बनाना जरूरी है तो मेरी आप जितने भी रतन टाटा जी के फैन प्रशंसक हैं उनकी दिल से इज्जत करते हैं उनसे रिक्वेस्ट है अपन ट्रेंड करते हैं # भारत रत्न फर रतन टाटा मैंने आपको हैशटैग दिखा दिया स्क्रीन पे एडिटर साहब दिखा देना आप सब जने भाई साहब इसको ट्रेन करेंगे आज के पहले अपन ने बीएसएनएल पे एक ट्रे चलाया था जो कि नेशनल लेवल पर गूंजा था अगर हम बात करें रतन टाटा जी के अदर अचीवमेंट के बारे में मैंने कहा ना भारत देश को अगर किसी चीज की जरूरत होती है सबसे पहले टाटा ग्रुप आता है !

तो आज की रेट में हमको पता है कि अगर वर्ल्ड लेवल पे टेक्नोलॉजी में आगे जाना है तो हमको चाहिए भाई साहब चिप सेमीकंडक्टर चिप पर उसका प्लांट में भाई साहब एक्सपर्टीज बहुत लगती है पैसा बहुत लगता है रिस्क बहुत लगता है हर कोई रिस्क ले नहीं सकता रतन टाटा जी आ गया है टा ग्रुप आगे आया और आज सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सबसे बड़ा काम रतन टाटा जीगा टाटा ग्रुप ही कर रहा है आज की डेट में हर कंपनी कह रही है हम भाई साहब इंडिया के बाहर एक्सपोर्ट कर रहे हैं बाहर एक्सपोर्ट कर रहे हैं ये प्रेरणा ये इंस्पिरेशन उसकी शुरुआत रतन टाटा जी ने की थी 60 पर रेवेन्यू टाटा ग्रुप का इंडिया के बाहर से लाके अपन बात करते हैं!

चैरिटी की जब भी अमीर व्यक्तियों की लिस्ट आती है उसमें बाकी सबका नाम आता है अंबानी आता है अडानी आता है बजज आता है पुवाल आता है सब आता है रजन टाटा जी का नाम उस लिस्ट में नहीं आता क्यों क्योंकि उन्होंने कहा कि वो अब टा ग्रुप के सबसे बड़े शेयर होल्डर नहीं है टाटा ग्रुप के जो सबसे बड़े शेयर होल्डर है वो है टा ट्रस्ट यानी इस टाटा ग्रुप जितना भी पैसा कमाता है उसका डिविडेंड जाता है टा संस में और टा संस का जितना भी पैसा आता है !

उसका सबसे बड़ा शेयर होल्डर है टा ट्रस्ट और वो पूरा पैसा समाज सेवा पे खर्च होता है तो टेक्निकली देखा जाए तो
टा ग्रुप में जो ओनर है वो ट्रस्ट है कोई व्यक्ति नहीं रतन टाटा जी ने कोरोना से फाइट के लिए 00 करोड़ का दान दिया था 2008 में जब ताज पे अटैक हुआ था कोई और प्लेयर होता तो कहता अ जी भैया दूर रहो यहां पे आतंकवादी हम सेफ रहे रतन टाटा जी उस समय सड़क प खड़े रहे थे जब तक आतंकवादी रहे थे और ऑपरेशन चल रहा था रतन टाटा जी खुद वहां पे पूरी स्थिति को मॉनिटर कर रहे थे और वहां पे जो भी व्यक्ति जख्मी हुआ जिसको भी ट्रॉमा हुआ चाहे वो होटल का बंदा था !

या होटल के आसपास वाला या कोई भी एक्स वाई जड सबके लिए आज तक भी वो सर्विसेस चला रहे हैं उसके लिए अलग से ताज पब्लिक सर्विस ट्रस्ट बनाया जो कि होटल और उसके आसपास के जो व्यक्ति है उनकी सेवा के लिए आज भी काम कर रहा है अगर आपका घर हो हज 2000 5000 करोड़ का या ऑफिस हो इतने महंगे घर ऑफिस में अगर कोई आवारा कुत्ता आ जाए तो आप क्या करेंगे आप बोलेंगे अरे सर मैं गार्ड रखूंगा मैं भगा दूंगा उसको ये कर दूंगा रजन टाटा जी ने एक बार बम्बे हाउस में देखा या आवारा कुत्ते घूम रहे हैं !

तो उन्होंने कहा अरे यार ये बिचारे कहां का खाते होंगे उन्होंने बम्बे हाउस में अलग से व्यवस्था कराई है कि जहां पे आवारा कुत्तों के लिए जगह बनाई है कि यहां पर आके वो रह सकते हैं और उनके खाने की व्यवस्था वो करते हैं कुछ लोग कहते हैं कि अजी साहब बिजनेस में अगर बड़ा बनना है तो भैया स्मोकिंग करनी पड़ती है शराब पीनी पड़ती है पार्टियों में जाना पड़ता है देश का सबसे सम्मानीय व्यक्ति और देश के सबसे बड़े ग्रुप को बनाने वाला खुद कभी स्मोकिंग नहीं की कभी ड्रिंकिंग नहीं की वो सी सिंपल टी टोटलर थे !

इनकी डॉग रिलेटेड एक स्टोरी और भी है इनको जब ब्रिटेन की महारानी ने बुलाया कि तुमको सर रतन टाटा जी की उपाधि देंगे उस दिन पर्टिकुलर डे जब सम्मान होने वाला था ये वहां पहुंचे नहीं तो पता पड़ा क्यों नहीं पहुंचे क्यों नहीं पहुंचे तो पता चला इनके एक डॉग की तबीयत खराब थी इने कहा इसका ध्यान रखना जरूरी है अवार्ड तो आते जाते रहते हैं तो एक सिंपल डॉग की सेवा करने के लिए ब्रिटेन का अवार्ड ठुकरा दे वो है रतन टाटा रतन टाटा जी बिजनेस के भगवान हैं और वह मैं हमेशा कहता हूं और उसका एक प्रूफ और है एक जो एमसीए सरकारी संस्था है मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स जो इस पे प्लान करती है !

भैया य जो कंपनीज है इनका काम वो देखती है उसको डिजिटलाइज करने का प्रपोजल आया वो प्रपोजल दिया गया टीसीएस को तो टीसीएस ने एक प्रपोजल दिया कि डिन नंबर इशू करेंगे डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर जो भी व्यक्ति प्राइवेट लिमिटेड में है उस सबके पास डिन है देश का सबसे पहला डिन जो कि है रतन टाटा जी के नाम पे अब किस्से कहानी तो और भी है क्योंकि रतन टाटा जी का व्यक्तित्व ही इतना बड़ा था लेकिन अभी इस article को अपन यही विराम देते हैं तो रटन टाटा जी के प्रति आपका जो प्यार सम्मान था जो भी आपको शब्दों में पिरो के कहना चाहते हैं कमेंट बॉक्स आपके लिए खुला है वहां कीजिए मैं कोशिश करूंगा हर कमेंट को पर्सनली पढ़ूं और लाइक करूं और भारतरत्न रतन टाटा मिलते हैं धन्यवाद जय

अगर Ratan Tata ना होते तो Tata Group नहीं होता । Biography of Ratan Tata । Case Study

 

 

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