22 जनवरी को अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसे लेकर धार्मिक अनुष्ठान 16 जनवरी से ही शुरू हो गए हैं. इसे लेकर पूरे देश में लोगों में उत्साह है और इस पर जमकर राजनीति भी हो रही है. अब जिंदगी के सम्मान का मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.
अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के रहने वाले भोला दास नामक व्यक्ति ने 22 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर राम की मूर्ति को तोड़ने की मांग की थी. अयोध्या के राम मंदिर में लल्ला. प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर रोक लगाने की मांग की जा रही है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन नहीं किया जाता है. ऐसे में पौष माह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ठीक नहीं है. जनहित याचिका में कहा गया है कि मंदिर का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है, इसलिए भगवान की प्राण प्रतिष्ठा करना गलत और परंपरा के खिलाफ है, कोर्ट को इस पर रोक लगानी चाहिए.
भोला दास ने अपनी याचिका में शंकराचार्य के नहीं आने पर आपत्ति जताई है और बीजेपी पर भी आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी राम मंदिर पर राजनीति कर रही है. आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए रामलला को आधे-अधूरे मंदिर में प्रतिष्ठित किया जा रहा है.