छठ पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो खास तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. चार दिनों का यह व्रत सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है. धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टि से इस पर्व का बहुत महत्व है. यह त्योहार दिवाली के कुछ ही दिन बाद आता है. छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय की परंपरा से होती है. यह पर्व 4 दिनों तक चलता है.
दूसरे दिन खरना की रस्म निभाई जाती है. छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है. छठ पूजा के चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन होता है. हिंदू धर्म में उगते सूर्य को जल या अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. ऐसे में आइए इस लेख में आपको बताते हैं कि इस साल छठ पूजा, नहाय खाय और खरना किस दिन किया जाएगा?
छठ पूजा कब है
पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है. वहीं, यह पर्व सप्तमी तिथि को समाप्त होता है. ऐसे में छठ महापर्व 05 नवंबर से 08 नवंबर तक मनाया जाएगा.
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1. छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय किया जाता है. इस दिन नहाय खाय और भोजन करने की रस्म होती है. पंचांग के अनुसार इस बार नहाय खाय 05 नवंबर को किया जाएगा.
2. खरना पूजा छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. इस दिन महिलाएं नए मिट्टी के चूल्हे पर खीर बनाती हैं. इसके बाद इसे छठी मैया को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है. इस दिन पूजा के बाद व्रत की शुरुआत होती है. इस बार खरना पूजा 06 नवंबर को है. 3. अगले दिन यानी तीसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस बार 07 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
4. छठ पूजा के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की प्रथा है. इसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत तोड़ा जाता है. यह पर्व 08 नवंबर को संपन्न होगा.
छठ पूजा के पावन अवसर पर सूर्य देव और उनकी पत्नियों उषा और प्रत्यूषा की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि पूजा करने से व्यक्ति को छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सनातन शास्त्रों में छठी मैया को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी माना गया है. इसलिए छठ पूजा के दिन छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है.