कर्ज जो है ना वह अचानक नहीं होता कर धीरे-धीरे बढ़ता है और कर्ज़ के साथ में एक शर्म जुड़ी है वो भयानक रूप जिसमें बैंक के कॉल्स आते थे धमकियां देते थे वो लोग की आपकी दो बेटियां हैं ना हम देख लेंगे रात को मैं बहुत डर लगता था तो पड़ोसियों को बुला लेते थे इस दौरान 2016 में हमने पापा को को दिया 2017 में बिजनेस बिल्कुल ही अपने अंतिम चरण पे था और 2018 तक मैंने अपनी हेल्थ को दी 30 साल की उम्र में आप समझ सकते हो 50 लाख का कर्ज आपको कैसा महसूस करता है!
हमारी जिंदगी में आना किसी ना किसी चीज का डर बैठा हुआ होता है और वो डर आता है हमारे अनुभवों से ऐसा एक डर मेरे अंदर भी था जो बचपन में बैठ गया कर्ज़ का ऐसा भयानक रूप देखा था की सोच लिया था जिंदगी में कभी कर्ज नहीं होने दूंगी लेकिन कहते हैं मुझे अपना 10 साल का बिजनेस बैंड करना पद जाएगा है मैं हूं अनामिका जोशी मैं एक हिंदी कवि हूं और एक एड फिल्म राइटर और डायरेक्टर भी तुम्हें एक बहुत ही मिडिल क्लास फैमिली से आई हूं आपने कई बार सुना होगा की मिडिल क्लास फैमिली और उसकी परेशानियां तो एक पैसों की तंगी हमारे हमेशा बनी रहे!
परिवार में तो कोई भी चीज बहुत इंतजार के बाद मिलती थी इसलिए हमारे लिए उसकी खुशी भी दोगुनी होती थी मैं आपको एक झलक देना चाहती हूं वो जो तंगी होती है ना उसकी की समाज तोक में नहीं गिनती में आते हैं जितनी जरूर है उसके आधे से कम मैं सब अपना कम चलते हैं एक शांत ज्वालामुखी सपनपता राहत है बस हम फटते नहीं मिडिल क्लास में ऐसा ही चला राहत है कभी लेट फीस के लिए क्लास के बाहर खड़े हो कभी अपने भाव को मजाक में छुपाया है नहीं मुझे नहीं चाहिए का कर अपनी इच्छाओं को दबाया है क्यों दिखाई हो पैसों की कमी को दूसरे त्रिकोण से अगर कंपनसते कर क्या कभी अपनी दोस्ती निभाते ऐसे कुछ बचपन था!
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आज मैं हिंदी कवि हूं पर मेरा बचपन ना केरला में बीता मैं केरला के छोटे से जिला और बहुत प्यार था मुझे केरला मेरे अंदर बस हुआ था बचपन का एक दूसरा पहलू पापा नौकरी करते थे लेकिन एक कविता छोड़कर जाते थे और शाम को मम्मी के साथ बैठकर उसे पर डिस्कशन करते थे की इस कविता में क्या सुधार हो सकता है क्या कमी र गई है क्या अच्छा है तो यह माहौल हमेशा बना रहा कविताएं सुनने का पढ़ने का पापा की कविता है और दूसरी नौकरी ढूंढने के लिए उसे उम्र में पापा केरल छोड़कर बाहर चले गए पीछे र गए हम कर्ज जो है !
ना वह अचानक नहीं होता अचानक नहीं आता कहानी और से लेते हैं आपको पता ही नहीं चला की कर्ज का पहाड़ इतना बड़ा कब बन जाता है शायद पापा के साथ भी ऐसा हुआ और यह पहाड़ इतना बड़ा हो जाता है की आप उसके सामने बहुत छोटे हो जाते हैं लेकिन उसका भयानक रूप जब देखने को मिला कर गिरा दिया रात को मैं बहुत डर लगता था तो पड़ोसियों को बुला लेते थे की आप हमारे घर में सो जो तो हमें थोड़ी तसल्ली बनी रहे इस दौरान मैंने मम्मी का ऐसा रूप देखा जो शायद आज मेरी कविता शायद मैं भी भरने लगून ऊंची ऊंची उड़ान शायद छुआओ में अंबर बन जाऊं!
सब की शान पर उनको पता था की शायद कुछ तो रॉक रहा है जान क्या है पीछे शायद कुछ तो रॉक रहा है जान क्या है पीछे यह शायद ही तो रॉक रहा है छोटे मोटे कम करके हमारा हमारा भैया आगे हमेशा बढ़ता रहा की मैं नॉर्थ इंडिया में सरवाइव कैसे करूंगी ऐसे में बहुत जल्दी अपना समाज समेत कर हम जयपुर पहुंच गए जयपुर इसलिए चुनाव क्योंकि वहां पर हमारे रिश्तेदार थे मम्मी के घर वाले थे सपोर्ट सिस्टम था इस दौरान मेरे भैया खड़े हुए पैसा आता है की क्योंकि मैं भैया को देख रही थी!
जूझते हुए सब बनाए रखना के लिए हमारे घर को सर्वाइवल मोड पर जिंदा रखना के लिए तो मैंने अपने आप को पुरी तरह पढ़ाई में जोंक दिया ग्रेजुएशन में सेकंड रैंक लाई उसके बाद में 1 साल टीचर की नौकरी की हम सब में वह हमेशा बना रहा है की हमें पैसा कामना है पैसे के साथ हमारा रिलेशनशिप भारत रहा आपका रिश्ता पैसों के साथ कैसा है ये बहुत जरूरी है समझना उससे आपको पता चला है की आप जिंदगी में किस तरीके से आगे बाढ़ रहे हैं!
अगर आप सोचते हैं की पैसा मुश्किल से आएगा तो पैसा मुश्किल से ही आएगा जैसे तैसे ना मैंने दोस्त बनाए जयपुर में आपको पता है वह केरल से जयपुर आने का धक्का जयपुर में तो एडजस्ट हो गई लेकिन फिर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली जाना पड़ा जो चेंज मुझे अलेप्पी से जयपुर आने में फूल हुआ था वही मुझे जयपुर से दिल्ली में फूल हुआ कंटिन्यू रही मेरे खाने का तरीका मेरा पहने का तरीका मेरा बोलने का तरीका इन सब पे थोड़े-थोड़े सवाल उठाते रहे मंत्र एक हफ्ते के अंदर मुझे प्यार हो गया पूरा डिप्लोमा जब मैं जयपुर से जो दिल्ली का शिफ्ट था!
वह इसलिए शायद मैं उसे एक्सपीरियंस को अच्छे से निभा पे क्योंकि वो मेरे साथ हमेशा बना रहा और हम दोनों ने फैसला लिया की हम एक एडवरटाइजिंग एजेंसी खोलेंगे मिलकर अब आप सोचिए की दो कॉपीराइट्स एक एडवरटाइजिंग एजेंसी खोल रहे हैं जिसमें कोई डिजाइनर है ही नहीं तो हमने बड़े मुश्किल तरीके से एक साल निकाला जिसमें हम डीपी ऑपरेटर के पास जाकर हमारे क्लाइंट्स के लिए डिजाइंस बनाते थे और हमारी एजेंसी में सांस फुक्ते जा रहे थे और धीरे-धीरे हमारी टीम बड़ी होने लगी और 5 साल हमने एडवरटाइजिंग एजेंसी चलाई अगले 5 साल हमने लाइसेंस का कम शुरू किया उसे दौरान हमने बड़े-बड़े नाम के साथ कम किया हमने जस्टिन बीबर के लिए हमने आमिर खान प्रोडक्शंस के लिए रेड चिलीज प्रोडक्शंस के लिए ए आर रहमान के लिए और एक दिन जब पता चला!
तो वही पहाड़ सामने आकर खड़ा हो गया और हम वापस से छोटे हो गए वापस से बोलना फूल करने लगे वह भयानक रूप जिसमें बैंक के कल आते थे धमकियां देते थे वह लोग हमारे परिवार के पास तक भी कॉल्स पहुंच रहे थे हमारे घर के बाहर हुआ कर खड़े हो रहे थे सर सब कुछ रिपीट बोर्ड में चल रहा था इस दौरान 2016 में हमने पापा को को दिया 2017 में बिजनेस बिल्कुल ही अपने अंतिम चरण पे था जहां हमें समझ में ए गया था की एक और महीना एक और दिन बिजनेस चलने का मतलब है और कर्ज और 2018 तक मैंने अपनी हेल्थ को दी यह डिप्रेशन शब्द में नहीं जानती की उसे वक्त क्या होता है आज मैं पलट के देख कर बोलती हूं की हां मैं डिप्रेस्ड बिस्तर से उठाती नहीं थी !
वह टीवी पर वह आता है ना की स्टार ढाबा के कहना है की हर उलझन का कोई नाम नहीं होता है हर उलझन का कोई नाम नहीं होता है हर परेशानी का सही अंजाम नहीं होता है कुछ भी नहीं सुहाता जब मां खाली सा होता है कुछ रस नहीं आता जब दिल अंदर से रोटा है समझ नहीं पता खुद को क्या छह रही है जिंदगी तुम्हारे ख्याली पुलाव से जिंदा मा जाते हैं अनजान तुम्हारी सोच उसे मजबूर कर जाते हैं ऐसे ही मजबूरी में उसे वक्त महसूस कर रही थी जो कर्ज चल रहा था 30 साल की उम्र में आप समझ सकते हो 50 लाख का कर्ज आपको कैसा महसूस करता है पैरों तले जमीन खिसक जाति है पापा के जान के बाद जो भी दर्द था उसको बांटने की कोशिश की समझना की कोशिश की की डर तो नहीं जाता पर दर्द से दिल कैसे करना चाहिए!
और एक प्यारी सी कम्युनिटी मिली मुझे जो औरतें को वित्तीय तरीके से वह स्वतंत्र हो पे उसके तरीके बताती है मेरे लिए इसलिए जरूरी था की मुझे पैसों से बहुत डर लगता था और इसलिए मैंने सर भर जो पैसों से रिलेटेड है वह अपने पार्टनर पर दाल दिया था 2018 तक मेरी तबीयत इतनी बिगड़ना ग गई थी की हमने एक फैसला लिया रीजन वही था 18 साल बाद सब रिपीट हो रहा था तो एक दिन ट्रक में समाज भारत हमने दिसंबर 15 2018 को हमने डिसाइड किया की हम जयपुर शिफ्ट हो रहे हैं और यह मेरा सुरेंद्र मोड था जहां पर मैंने सवाल ही नहीं उठाया जयपुर शिफ्ट हो रहे हैं ठीक है दिसंबर 2018 29 तारीख को हम जयपुर पहुंच गए जो छोड़ चुकी थी बहुत पहले चली गई थी और मैं इंग्लिश कॉपीराइट हिंदी में राइटिंग करने के मौके बहुत कम ही आते थे!
ऐसे में एक दोस्त था जयपुर में जो एक इवेंट कर रहा था मदर दे कहानी और शायरी सुनने वाली थी उसने मुझे पूछा की तुम मां पर कुछ लिखो और वहां पर सुनाओ मुझे समझ में आज तक यह नहीं आता किस दोस्त ने मुझे यह क्यों बोला ना उसने मेरी कोई कविता पड़ी थी ना सनी थी ना पता था की शायरी करती हूं पर वो शायद होता है ना यूनिवर्स प्लेन करती है सब कुछ उसने मुझे पूछा और मैंने इवेंट के एक दिन पहले तक कुछ नहीं लिखा मुझे लगा ऐसे ही कैजुअल बोल दिया होगा अगले दिन इवेंट था इवेंट में क्योंकि डेरी हो रही थी मी परफॉर्म कर रही थी और वक्त निकाला जा रहा था तो फैसला हुआ की मुझे पोयम नहीं है क्योंकि वक्त ही नहीं है मैं बड़ी खुश क्योंकि वैसे भी दरी हुई थी वैसे भी शमी हुई थी तो मुझे ग रहा था की बहुत अच्छा की मुझे डर कर वो कविता सुनाना ही नहीं पड़ेगी !
- सफलता के 5 नियम जो आपको करोड़पति बना सकते हैं How To Get Rich – 5 Rules Every Rich Person Knows | Sonu Sharma
- यूनिवर्स और मेक परफॉर्मेंस था वह अपनी माइक ठीक कर रहे थे तो दोस्त ने आके बोला की जब तक यह माइक तूने कर रहे हैं तो मां के सुना दो तुम्हारी कितनी लंबी कविता है मैंने लड़की नहीं नहीं रहने दो रहने दो पर मेरा पार्टनर मेरा भाई सपना मुझे धक्का दिया और आज अगर आप वीडियो देखोगे ना तो मेरा हाथ कहां पर है वो पन्ना कहां पर है पर सामने मां बैठी थी जिनके लिए वो कविता मैंने लिखी थी तो उनको देखकर और साड़ी मां को ध्यान में रखते हुए कपडे होठों से ही सही काटते हाथों से ही सही मैंने वो कविता सुना दी कविता सुनने के बाद जब मैं वापस अपने चेयर पर आए तो कुछ लोग रो रहे थे कोई आकर गले मिल रहा था किसी ने हाथ से मेरे ऊपर ना ले लिया की यह पन्ना मुझे चाहिए!
तब पैसो से डर लगने लगा था | Anamika Joshi | @BattoKiBakwaas Josh Talks Hindi –
मुझे ज्यादा कुछ समझ में नहीं रहा था तो जो कविता थी उसके चंद लाइन ऐसे थी की वह गलत कैसे हो शक्ति है भला वो मां है तो गलत कैसे हो शक्ति है भला परवरिश में कोई कमी ना र जाए नौकरी करनी चाहिए तो बच्चों ने रॉक दिया कुछ घर पर ही करना चाहा तो सबने टॉक दिया तुम भला अपना वक्त बच्चों से कैसे छन शक्ति हो तुम मां हो तुम भला अपने लिए कैसे जी शक्ति हो बचपन से हम बच्चों ने मां पर कुछ ऐसा प्यार जाते की मां को हमेशा सही करने के लिए मजबूर ही पाया और इस कविता के आगे में एक्सप्लेन करती हूं की मैन किस तरीके से हमेशा सही करने की कोशिश की मैं चाहती थी की कविताकर हमने जो गलती की है ना उसके करण उनके लिए गलती करने के कुछ पैसे नहीं बच्ची है!
और इसी चीज को लेकर वह कविता लिखी वहां से मेरी जर्नी नौकरी करता रहा और एक वक्त आया पर एक हिम्मत है की अब गलतियां से सिख कर उसे डर से निकालना है और यह कभी बिजनेस नहीं करेंगे आज हम तीसरा बिजनेस हमारा शुरू कर चुके हैं जिसका नाम उटपटांग फिल्म बना चुके हैं जिसमें हमने लेंस कार्ड के लिए मूवी बनाई है बैंक ऑफ बडौदा के लिए मूवी बनाई है महीने का हमारा 5 से 6 लाख का रिवेन्यू राहत है और बस कोशिश यही है की इस रिवेन्यू को बढ़ते जैन हमारा कर्ज याद है 50 लाख का वो आज 5 लाख पर है वह भी बहुत उम्मीद है!
की साल खत्म हो जाएगा और जो भी लोग आज कर्ज से जूझ रहे हैं ना उनको बस यही कहना है की एक-एक कम उठाते जो कोई भी पहाड़ इतना बड़ा नहीं है की वह आपसे ऊंचा हो जाए आप कभी भी छोटे मत फूल करो खुद को आपकी जो ज़िद है ना वह बड़ी रखो सब कुछ छोटा लगेगा तो जो ऐसे लोग हैं जो मानते ही नहीं है फिर जितने की कोशिश करते हैं तो उन पर कुछ लिखा है की जब तुम बार-बार हर कर भी हो जाते हो उठ खड़े जब तुम बार-बार हर कर भी हो जाते हो उठ खड़े तारक खुद को देते हो की नाम करने हैं बड़े आदते जो रो के रोज उनसे तुम लड़े हर अधूरी कोशिशें के नापते हो तुम जेड हर बहाने तोड़े दम कम बस गई बात है सही की रोज गिरते सब यहां पर शिखर पर है वही जो पीछे ख्वाबों के पढ़े जो पीछे ख्वाबों के बड़े जो भी कविता है आज मैं लिखती हूं!
वह सब मेरे अनुभवों से आई है तो आप देखेंगे की मैं जेंडर इक्वलिटी पर वूमेन और फाइनेंस पर मेंटल हेल्थ पर इन सब पर इन सब टॉपिक को छुट्टियां अपनी कविताओं के थ्रू आज मां तुम भी गलत हो शक्ति हो जो कविता है और आखिर तुम होते कौन हो जो रिलेशनशिप पर कविता है इस पर 50 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज हैं और इस कविताओं को आप तक लाने के लिए मैंने वह नाम सुना जिससे मैं जिंदगी भर भक्ति रही और आज मैं भक्तों के नाम से ही जानी जाति हूं कई लोग मुझे पूछते हैं की आपका वैसे नाम क्या है और आप सुन रहे थे!अगर आप इस Article के और तक ए गए हैं तो मेरी तरह आप भी इंस्पायर जरूर हुए होंगे!
तब पैसो से डर लगने लगा था | Anamika Joshi | @BattoKiBakwaas Josh Talks Hindi –
दोस्तों आपको पता है हम सब बड़े सपना देखते हैं लेकिन हम में से कुछ ही लोग हैं जो अपने सपना को पूरा कर पाते हैं और आपने कभी नोटिस किया जो भी लोग अपने गोल को अचीव कर पाते हैं उनमें एक कमेंट्स के होते हैं वो क्या है अच्छी कम्युनिकेशन स्किल और इंग्लिश बोलने के साथ यहां पे हमें डेली वोकैबलरी ग्रामर रीडिंग राइटिंग प्रैक्टिस के साथ-साथ अपने ही जैसे लाखों स्टूडेंट के साथ इंग्लिश में बात करने के अभी मौका मिलता है इससे हम अपने इंग्लिश की फ्लुएंसी जो है वो इंप्रूव कर सकते हैं तो चलिए आज ही अपने सपना की और पहले कम लेते हैं भारत के नंबर वन स्पोकन इंग्लिश