14 फरवरी को रेवती नक्षत्र में होगा सरस्वती पूजा का आयोजन: नवजात शिशुओं का होगा जन्म, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त 8 फरवरी को नरक निवारण चतुर्दशी और 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे पर सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाएगा। इस दिन घर-घर में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाएगी। नरक निवारण चतुर्दशी के बारे में कहा जाता है कि पूरे वर्ष केवल इसी दिन व्रत करने से लोगों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और नरक में जाने का कलंक दूर हो जाता है।
इस वर्ष सरस्वती पूजा 14 फरवरी माघ शुक्ल पंचमी को मनाई जाएगी। यह त्यौहार विद्या, बुद्धि, ज्ञान, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी देवी सरस्वती को समर्पित है। 14 फरवरी को बसंत पंचमी रेवती नक्षत्र और शुभ योग के संयोग में रहेगी। इस दिन भक्त पीले वस्त्र पहनते हैं। माघ शुक्ल पंचमी को मां शारदा, भगवान गणेश, लक्ष्मी, नवग्रह के साथ-साथ किताबें, कलम और वाद्ययंत्रों की भी पूजा की जाएगी। पूजा के बाद श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाएंगे।
पंडित राकेश झा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने भी माघ शुक्ल पंचमी को पीतांबर धारण कर मां सरस्वती की पूजा की थी। पीला रंग बृहस्पति ग्रह से संबंधित है जिसे ज्ञान, धन और शुभता का कर्क माना जाता है। पीला रंग शुद्धता, सादगी, पवित्रता और अच्छाई का प्रतीक है। केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और देवगुरु बृहस्पति का कारक है और उन्हें ज्ञानवान बनाता है।
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आचार्य झा ने बताया कि बसंत पंचमी सरस्वती पूजा के दिन नवजात शिशुओं का अक्षरंभ संस्कार पारंपरिक विधि से किया जाएगा। इसी दिन से उनकी विद्या की पढ़ाई भी शुरू होगी. इस दिन ज्ञान की खोज करने वाले विद्यार्थियों, साधकों, भक्तों और उपासकों को सफलता और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मंत्र दीक्षा, नवजात शिशुओं का अक्षरारंभ, नए रिश्ते की शुरुआत, शिक्षा दीक्षा और नई कलाओं का आरंभ करना शुभ माना जाता है।
सरस्वती पूजा का शुभ समय
पंचमी तिथि- सुबह 06:28 बजे से शाम 05:52 बजे तक
लाभ और अमृत मुहूर्त- सुबह 06:28 बजे से 09:15 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त- सुबह 10:40 से दोपहर 12:04 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:41 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक
चर मुहूर्त- दोपहर 02:52 बजे से शाम 04:17 बजे तक