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बिहार में अग्निवीर शिक्षकों की नौकरी पर खतरा, नीतीश सरकार ने 782 लोगों को नौकरी से निकाला, विरोध शुरू

बिहार में अग्निवीर शिक्षकों की नौकरी पर खतरा, नीतीश सरकार ने 782 लोगों को नौकरी से निकाला, विरोध शुरू

 BPSC से बहाली शुरू होते ही शिक्षकों को हटाया जाने लगा, राज्य भर के स्कूलों से 782 अतिथि शिक्षकों को हटाया गया: एक तरफ BPSC से सफल शिक्षकों की बहाली तेज हो गयी है, तो दूसरी तरफ काम काज भी तेज हो गया है. स्कूलों से अतिथि शिक्षकों को हटाने का सिलसिला भी तेज हो गया है। तब से चल रहा है. महज एक महीने के अंदर सात सौ से ज्यादा अतिथि शिक्षकों को हटा दिया गया है. हटाए जाने वाले अतिथि शिक्षक जिला मुख्यालय से लेकर शिक्षा विभाग तक का चक्कर लगा रहे हैं और अपना रोजगार न खोने की गुहार लगा रहे हैं.

2018 में पहली बार उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए 2018 में राज्य भर में पहली बार अतिथि शिक्षकों की बहाली की गयी थी. कुल 4257 अतिथि शिक्षक बिहार के विभिन्न स्कूलों में एक हजार प्रतिदिन और अधिकतम 25 हजार रुपये के मानदेय पर काम करने लगे. प्लस टू स्कूलों के बॉटनी, जूलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ और अंग्रेजी विषय के लिए अतिथि शिक्षकों का चयन किया गया। पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड करने वाले लोग अतिथि शिक्षक बन गए। वहीं सितंबर 2023 में आउटसोर्सिंग के जरिए राज्य भर में करीब 20 हजार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी.

उन्हें प्रति कक्षा 250 रुपये देने का निर्णय लिया गया। लेकिन जैसे ही बीपीएससी से शिक्षकों की नियुक्ति शुरू हुई, अतिथि शिक्षकों का करियर संकट में पड़ गया है. 25 नवंबर से अब तक यानी एक महीने में प्रदेश भर में कुल 782 अतिथि शिक्षकों को उनके पद से हटाया जा चुका है. उच्चतर माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ के प्रवक्ता कुमार संजीव कहते हैं कि नवादा में सबसे अधिक 88 शिक्षकों को हटाया गया है. वहीं गोपालगंज के 96 में से 86 अतिथि शिक्षकों को हटा दिया गया है. जबकि गया के 421 शिक्षकों में से अब तक 25 को हटाया जा चुका है.

अतिथि शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी

उच्च माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ के प्रवक्ता कुमार संजीव कहते हैं कि एक तरफ सरकार बहाली कर रही है और रोजगार दे रही है, दूसरी तरफ हमारी नौकरियां छीनी जा रही है. यह कहां का न्याय है? हम छह साल से पढ़ा रहे हैं। हमने अपने जीवन के छह महत्वपूर्ण वर्ष दिये। हमने चुनाव से लेकर कोरोना और जातीय जनगणना तक काम किया, लेकिन अब हमें हटाया जा रहा है. क्या यही है लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा? हमने अपर मुख्य सचिव से लेकर विधानसभा अध्यक्ष तक गुहार लगाई है. सभी का कहना है कि अतिथि शिक्षकों को नहीं हटाया जाएगा, लेकिन हर जिले में डीईओ द्वारा अतिथि शिक्षकों को हटाने का पत्र जारी किया जा रहा है.

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