पटना: 20 जून को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के उस फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था जिसमें राज्य सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था. हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
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दरअसल, 1 जून 2022 को बिहार सरकार ने सभी दलों के सहयोग से राज्य में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया था. बिहार में साल 2023 के जनवरी से अगस्त के बीच जातिगत जनगणना का काम पूरा कर लिया गया. इसी बीच मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया. इसी साल 2 अक्टूबर को सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए और उसके आधार पर बिहार में आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का फैसला लिया.
इसके बाद एक बार फिर बिहार सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. इस पर सुनवाई पूरी करते हुए 20 जून को हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया था। अब बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और हाईकोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करते हुए याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस मामले की सुनवाई शुरू कर सकता है।