किसी ने बड़े कमाल की बात कही है कि जीवन के रण में खुद ही श्रीकृष्ण और खुद ही अर्जुन बनना पड़ता है रोज अपना ही सारथी बनकर जिंदगी की महक भारत से लड़ना पड़ता है!
यह जो कहानी सुनाने जा रहा हूं यह काफी को सिखाएगी कहानी शुरू होती है बिजनेसमैन से जो अपने बिजनेस को ले करके काफी चिंता किया करते थे कि क्या होगा आने वाले कल में कैसे काम आगे बढ़ेगा !
बच्चा business संभाल पाएगा की नहीं उनके चिंता था ! वह लड़का काफी कह रहा था पापा मुझे मौका दो मुझे भी बिजनस करना आ गया है उसे भार संभालने मौका दो!
एक दिन इस बिजनेस मैन को दिल का दौरा पड़ा हॉट अटैक कि hospitalized हुआ अस्पताल में भर्ती था बच्चा दौड़कर के पहुंचा देखा एडमिट है डॉक्टर ने कहा कि आ थोड़ा पहले से ठीक है धीरे-धीरे रिकवर होंगे !
लड़के ने अपने दोस्त को कॉल करके भाई आजा मेरे पापा अस्पताल में एडमिट है ! दोस्त आ गया दोस्त ने से सारी बात हुई है और उसके बाद जो बिजनेस मैन का लड़का बोला चल न बाहर से आते हैं दोनो बाहर चले जाते हैं अस्पताल से बाहर निकले तो बाहर आइस्क्रीम वाला दिखाई दिया मैं बिजनेसमैन कि लड़के ने कहा कि भाई आजा आज की आइसक्रीम खाते हैं !
दोस्त चौंक गया यह क्या पागलपन चल रहा है पापा अंदर भर्ती है यहां आइस्क्रीम खा रहा है आइसक्रीम खरीदें उसके बाद खाने लगे तो वह जो दोस्त था उसे रहा नही गया पूछ लिया कि भाई समझ नहीं आ रहा है तुम्हारे बिजनेस का क्या होगा आने वाले कल में तेरे पापा एडमिट हो गए उनकी तबीयत ठीक नहीं है दिल का दौरा पड़ा हार्ट अटैक हुआ और तू यहां आइसक्रीम खा रहा है समझ नहीं आ रहा है!
उसने जो बात कही लड़के कहा कि मुझे मालूम है तो यह सोच रहा है मेरे पापा एडमिट है और आइसक्रीम चल रहे हैं और मजे चल रहे तो नहीं अब मैं भगवान श्री कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त और उनकी दो बातें हमेशा जिंदगी में याद रखता हूं पहली बात जो हम सबको मालूम है कि काम करना है फल की चिंता नहीं करनी है !
तो जो होगा देखा जायेगा अपने काम पर फोकस करूंगा बिजनस भी अच्छा चलेगा दूसरी बात मैं तुम्हें कहानी सुनाता हूं समझ में आ जाएगी भगवान श्रीकृष्ण की जो पत्नी थी मां रुक्मिणी के पिता विवाह तो विवाह हुआ तो जो बड़ा बेटा हुआ जिसका नाम प्रद्युमन था !
प्रद्युम्न के जन्म के दस दिन बाद ही प्रद्युम्न छोटे बच्चे का अपहरण हो गया रुक्मिणी नाराज रहने लगी उदास रहने लगी क्या हो गया है भगवान श्रीकृष्ण कहते थे कि चिंता मत करो प्रद्युम्न ठीक होगा जहां भी होगा तुम स्वस्थ रहा करो मस्त रहा करो लेकिन इसी चिंता में रुक्मिणी जी के साल बीतते है 18 साल के बाद में प्रद्युम्न की वापसी हुई और प्रद्युम्न द्वारका वापस आए तो उनके साथ में उनकी पत्नी मायावती थी !
समस्या यह थी कि जो मायावती थी प्रद्युम्न से उसकी उम्र 20 साल ज्यादा थी मां रूक्मिणी मन तो खुश हैं कि बच्चा आ गया फिर दुखी रहने लगी कि इतनी बड़ी लड़की शादी करके आ गया भगवान श्रीकृष्ण के पास जाकर कहने लगी कि क्या हो गया है भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जो हो गया है उसको स्वीकार कर लो चिंता मत करो !
रूक्मिणी कहती थी बड़ी लड़की शादी कर ली यही मिली थी यह वह बहुत सारी बातें है को स्वीकार नहीं कर पा रही थी उदास हुई जा रही थी,दुखी हो जा रही थी एक साल दो साल समय बीत रहा था लेकिन अंदर ही अंदर वह बात चोटती रही!
आठ साल के बाद में रुक्मिणी जी ने स्वीकार कर लिया कि प्रद्युम्न ने जो शादी कर ली वह ठीक है की ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है उस शादी को उन्होंने स्वीकार कर लिया एक तरीके से अपनी जिंदगी यह छब्बीस साल उदासी में बता दिया!
कहानी ख़त्म करते वह लड़का बोला कि भाई मैंने भी जिंदगी में स्वीकार करना सीख लिया है कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो हो रहा है उसको स्वीकार कर लो जिंदगी अपने आप सहज हो जाएगी !
छोटी सी कहानी जो दो बड़ी बातें सिखाती है और यही बात है वहां पर पहुंचाना चाहता था कि जिंदगी में जो हो रहा है life goes on son just keep going जिंदगी चलती चली जाती है आप भी चलते रहिए जो होगा अच्छा होगा अच्छे के लिए होगा !
एक बार फिर से करना चाहता हूं माता पिता का आशीर्वाद के साथ अपने सच्चे प्यार के साथ अपनों के प्यार के साथ ऊपर वाले के आशीर्वाद के साथ अपनी सच्ची मेहनत के साथ , कर दिखाओ को कुछ ऐसा कि दुनिया करना चाहे आप जैसा , learning searies सीखोगे नहीं तो जीतोगे कैसे हो !
जीवन के रण में खुद ही श्रीकृष्ण और खुद ही अर्जुन बनना पड़ता है रोज अपना ही सारथी बनकर जिंदगी की महाभारत से लड़ना पड़ता है Rj kartik motivational story
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